The 5-Second Trick For Shodashi

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सोलह पंखड़ियों के कमल दल पर पद्दासन मुद्रा में बैठी विराजमान षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी मातृ स्वरूपा है तथा सभी पापों और दोषों से मुक्त करती हुई अपने भक्तों तथा साधकों को सोलह कलाओं से पूर्ण करती है, उन्हें पूर्ण सेवा प्रदान करती है। उनके हाथ में माला, अंकुश, धनुष और बाण साधकों को जीवन में सफलता और श्रेष्ठता प्रदान करते हैं। दायें हाथ में अंकुश इस बात को दर्शाता है कि जो व्यक्ति अपने कर्मदोषों से परेशान है, उन सभी कर्मों पर वह पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर उन्नति के पथ पर गतिशील हो और उसे जीवन में श्रेष्ठता, भव्यता, आत्मविश्वास प्राप्त हो। इसके आतिरिक्त शिष्य के जीवन में आने वाली प्रत्येक बाधा, शत्रु, बीमारी, गरीबी, अशक्ता सभी को दूर करने का प्रतीक उनके हाथ में धनुष-बाण है। वास्तव में मां देवी त्रिपुर सुन्दरी साधना पूर्णता प्राप्त करने की साधना है।

Lots of excellent beings have worshipped elements of Shodashi. The good sage, Sri Ramakrishna, worshiped Kali all over his whole existence, and at its end result, he paid homage to Shodashi via his individual wife, Sri Sarada Devi. This illustrates his greatness in viewing the divine in all beings, and especially his existence lover.

A singular characteristic with the temple is usually that souls from any faith can and do provide puja to Sri Maa. Uniquely, the temple administration comprises a board of devotees from many religions and cultures.

By far the most revered between these may be the 'Shodashi Mantra', which can be explained to grant each worldly pleasures and spiritual liberation.

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥८॥

यत्र श्री-पुर-वासिनी विजयते श्री-सर्व-सौभाग्यदे

The Shodashi Mantra instills endurance and resilience, helping devotees stay constant by way of troubles. This benefit permits men and women to technique obstructions with calmness and perseverance, fostering an inner toughness that supports personalized and spiritual growth.

ह्रीं‍श्रीर्मैं‍मन्त्ररूपा हरिहरविनुताऽगस्त्यपत्नीप्रदिष्टा

या देवी हंसरूपा भवभयहरणं साधकानां विधत्ते

Her here magnificence can be a gateway to spiritual awakening, generating her an object of meditation and veneration for all those trying to get to transcend worldly needs.

यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।

Shodashi’s affect promotes instinct, encouraging devotees obtain their internal knowledge and build have confidence in inside their instincts. Chanting her mantra strengthens intuitive skills, guiding individuals towards selections aligned with their highest good.

तिथि — किसी भी मास की अष्टमी, पूर्णिमा और नवमी का दिवस भी इसके लिए श्रेष्ठ कहा गया है जो व्यक्ति इन दिनों में भी इस साधना को सम्पन्न नहीं कर सके, वह व्यक्ति किसी भी शुक्रवार को यह साधना सम्पन्न कर सकते है।

The one who does this Sadhana becomes like Cupid (Shodashi Mahavidya). He is converted into a wealthy, common among the women and blessed with son. He will get the caliber of hypnotism and achieves the self electric power.

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